वेवेल योजना क्या थी
इंग्लैंड के प्रधानमंत्री लॉर्ड वेवल ने एक योजना प्रस्तावित की थी जिसे वेबर योजना के नाम से जाना जाता है। इस योजना को प्रस्तावित करने के लिए निम्नलिखित कारण थे
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मई 1945 जर्मनी की पराजय से यूरोप में युद्ध म बंद हो गया था, परंतु दक्षिण पूर्व एशिया में अभी तक युद्ध चल रहा था, अभी तक जवान को हराने के लिए भारतीयों का सहयोग प्राप्त करना आवश्यक था।
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अमेरिका तथा अन्य मित्र राष्ट्रों ने चर्चित की सरकार पर भारतीय समस्या को हल करने के लिए दबाव डालना आरंभ कर दिया था।
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सन 1944 के वर्षों में भारत के अनेक भागों में भीषण अकाल पड़ा जिसमें असम के लोग मारे गए और लाखों लोग भुखमरी का शिकार हो गए। किस आर्थिक संकट से जनता में भीषण असंतोष फैला। सरकार के लिए यह आवश्यक ताकि इस असंतोष को दूर करें।
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कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी से लोगों में दिन-प्रतिदिन नाराजगी बढ़ती जा रही थी अतः सरकार अधिक दिनों तक इन नेताओं को जेल में नहीं रख सकती थी।
इन सभी परिस्थितियों में लॉर्ड वेवल 21 मार्च 1945 को लंदन गए और 4 जून को लौटकर उन्होंने भारतीय नेताओं के समक्ष शक्ति योजना रखी-
इस योजना में प्रमुख बातें निम्नलिखित थी
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ब्रिटिश सरकार भारत के राष्ट्रीय प्रतिरोध को दूर करके उसे सुशासन के लक्ष्य की ओर अग्रसर करना चाहती है।
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देश को ध्यान में रखकर एक नई जनप्रतिनिधि कार्यकारणी परिषद का निर्माण किया जाए जिसने गवर्नर जनरल की प्रधान सेनापति को छोड़कर सभी सदस्य भारतीय होंगे।
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नई कार्यकारिणी परिषद में सब हिंदुओं मुसलमानों बराबर अनुपात में होगी।
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विदेशी मामलों का विभाग का गवर्नर जनरल से लेकर उसकी परिषद की एक भारतीय सदस्य को सौंप दिया जाएगा।
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सन 1935 के अधिनियम के अंतर्गत गवर्नर जनरल को जियो विशेषाधिकार प्राप्त थे उनका प्रयोग वह बिना किसी विशेष कार्य के लिए नहीं करेगा।
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भारत में ब्रिटिश हितो की रक्षा के लिए एक ब्रिटिश हाई कमिशन की नियुक्ति की जाएगी और गवर्नर जनरल को केवल भारत सरकार का प्रधान माना जाएगा।
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की समाप्ति के पश्चात भारतीय स्वयं ही अपने देश के लिए संविधान बनाने के लिए स्वतंत्र होंगे।
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भारत की विभिन्न राजनीतिक दलों को शीघ्र ही शिमला में एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।