सी. आर. फॉर्मूला क्या था?
श्री राजगोपालाचारी काफी दिनों से कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता कराकर मुस्लिम संप्रदाय समस्या को हल करना चाहते थे, इसी उद्देश्य से अप्रैल 1942 ईस्वी को उन्होंने एक योजना तैयार की थी, जिसे कांग्रेस ने आसिफ कॉल कर दिया। इससे नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस की कार्यसमिति से त्याग दे दिया। सन 1944 में जब गांधीजी जेल से छूट कर बाहर आए तो उन्होंने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौते का आधार बनवाने के लिए एक नई योजना बनाई, जिसे इतिहास में सी.आर. फार्मूला भी कहा जाता है।
इस योजना की प्रमुख बातें निम्नलिखित है:-
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मुस्लिम लीग भारत की स्वाधीनता की मांग का समर्थन करें और संक्रांति काल के लिए स्थाई आंशिक सरकार की स्थापना में कांग्रेस का सहयोग करें।
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युद्ध के पश्चात एक आयोग की नियुक्ति की जाए, जो उत्तर पश्चिम तथा पूरे भारत के उन जिलों की सीमा का निर्धारण करने करेगी, जहां मुस्लिम बहुमत है। इसके उपरांत वयस्क मताधिकार प्रणाली के अनुसार उन क्षेत्रों के निवासियों की मतगणना करके भारत से उनके संबंध विच्छेद के प्राप्त करने में किया जाए। यदि क्षेत्र भारत से पृथक होना चाहिए तो उन्हें पृथक कर दिया जाए। परंतु सीमावर्ती क्षेत्रों को अपनी इच्छा अनुसार एक दूसरे राज्य में रहने का अधिकार हो।
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जनमत संग्रह से पूर्व प्रत्येक दल को अपने पक्ष में प्रचार करने की पूर्ण स्वतंत्रता दी जाए।
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विभाजन होने पर सुरक्षा व्यवस्था संचार के संबंध में परस्पर समझौता किया जाए।
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जनसंख्या का हस्तांतरण जनता की इच्छा के आधार पर हो।
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उपयुक्त सभी शर्त केवल उसी दशा में लागू होगी जबकि ब्रिटेन की सरकार भारतीयों को शासन का संपूर्ण उत्तरदायित्व देना स्वीकार कर ले।
इस योजना के आधार पर गांधीजी तथा जिन्ना के मध्य कालीन तक बात चली परंतु इसका कोई परिणाम नहीं निकला और इस योजना का अंत हो गया।