सम्राट अशोक का जीवन परिचय और इतिहास की पूरी जानकारी

मौर्य वंश  भारतीय इतिहास में अपना महत्वपूर्ण स्थान रहा है।  इस वंश में कई वीर राजाओं का जन्म हुआ, इनमें से सबसे प्रमुख  सम्राट अशोक है।

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सम्राट अशोक के जीवन को जानने के स्रोत

हमारे पास इतिहास को जानने के लिए दो स्रोत होते हैं:-

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लिखित स्रोत और अलिखित स्रोत

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सम्राट अशोक को जानने के लिए हमारे पास दोनों स्रोत उपलब्ध है।

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1. लिखित स्रोत

इस स्रोत में  अर्थशास्त्र, बौद्ध धर्म जैन धर्म, दीप वंश महा वंश, अशोक का धम्म, पुराण,  पाली साहित्य साहित्य , अशोक के शिलालेख  आदि।

2. अलिखित स्रोत

अलिखित स्रोत को हम  पुरातात्विक स्रोत भी कह सकते हैं, इसमें, स्तूप, मूर्तियां सिक्के  आदि आती है।

इन सभी स्रोतों के आधार पर  भारतीय इतिहासकार  सम्राट अशोक के बारे में  जानकारियां इकट्ठा करते हैं।

अशोक का जन्म परिचय

भारतीय इतिहासकारों के अनुसार सम्राट अशोक का जन्म  304 ईसा पूर्व को  पाटलिपुत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम बिंदुसार था और माता का नाम शुभद्रंगी था।

अशोकावादन में कहा गया है कि  अशोक की मां एक रानी थी और बहुत चंपा की एक ब्राह्मण की बेटी थी। महल में चल रहे षड्यंत्र के कारण उसका एक प्रकार से निष्कासन हो चुका था, निष्कासन की स्थिति खत्म होने के पश्चात उसे महल में बुलाया गया और उसने एक बेटे को जन्म दिया और इस बच्चे का नाम  अशोक रखा गया।

दिव्यावदान में भी  लगभग इसी प्रकार की कहानी है, लेकिन इसमें अशोक की माता का नाम  जनपद कल्याणी था। दूसरी ओर वंसत्थपकासिनी में  सम्राट अशोक की माता का नाम धर्मा कहा गया है।

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सभी इतिहासकारों और ग्रंथों में  अशोक की माता का नाम  अलग-अलग बताया गया है, इसलिए हम एक पक्ष की ओर नहीं जा सकते हैं।

भारतीय इतिहासकार सम्राट अशोक की जाति को लेकर भी मतभेद में है कई इतिहासकार सम्राट अशोक को ब्राह्मण मानते हैं तो कई इतिहासकार उसे क्षत्रिय मानते हैं, यहां तक कि कई इतिहासकारों ने तो  अशोक को  शुद्र का बेटा भी माना है।

सम्राट अशोक राजा बनने से पहले अपने पिता के समय उज्जैनी का गवर्नर था और उसने इससे पहले  तक्षशिला के विद्रोह का दमन किया था।

अशोक की पत्नी का नाम

दीपक और महा वंश में  सम्राट अशोक के वर्णन किया गया है, इन ग्रंथों में लिखा गया है कि अशोक को देवी नाम की एक स्त्री से प्रेम हुआ था जो  विदिशा  के  वेश्य की बेटी थी।  अशोक देवी से दो  संतान की उत्पत्ति हुई थी,  जिनका नाम संघमित्रा और महिंद्र था।अशोक की अन्य पत्नियों की भी चर्चा हुई है। इलाहाबाद कौशल स्तंभ अभिलेख में उसकी पत्नी कारूवाकी  के द्वारा दिए गए दान का उल्लेख है।

सम्राट अशोक की  संतान के नाम

बौद्ध धर्म में अशोक के दो संतानों का उल्लेख किया गया है  जिसका नाम संघमित्रा और  महिंद्र है। लेकिन अन्य ग्रंथों में अशोक के चार  संतानों का उल्लेख किया गया है, संघमित्रा और महिंदर, तिवर ओर कनाल और  चारुवति का भी उल्लेख है।

अशोक का  राज्य अभिषेक

अशोक को मौर्य साम्राज्य का राजा बनने के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।  अशोक को खुद के बड़े भाई से  राजा बनने के लिए संघर्ष करना पड़ा था, इसी दौरान  राज्य में कई षड्यंत्र लड़े गए।  अशोक के पिता  बिंदुसार अपने बड़े पुत्र को  राजा बनाना चाहते थे।  लेकिन बड़े पुत्र को राज्य में कई लोग राजा बनाना नहीं चाहते थे, वे अशोक को राजा बनाना चाहते थे।

अशोक का शासनकाल

अशोक ने लगभग  273 ईसा पूर्व से  233 ईसा पूर्व तक शासन किया था।सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल के दौरान 262 ईसा पूर्व में  कलिंग का युद्ध लड़ा था और इस युद्ध में उसने  विजय प्राप्त की थी।  कलिंग के युद्ध में बहुत नरसंहार हुआ था, अशोक अशोक दूसरे दिन उठकर रणभूमि में पहुंचा उसने देखा कि लाखों लोग वहां मारे जा चुके हैं, कई बच्चे अनाथ हो गए हैं इसे देखकर वह बहुत दुखी हुआ।

आप उस ने निर्णय लिया कि वह कभी युद्ध नहीं करेगा और अपने राज्य में किसी को युद्ध नहीं करने देगा, ने बौद्ध धर्म से  प्रभावित होकर  धर्म को अपना लिया।

अशोक का वास्तविक धर्म क्या था

अगर सम्राट अशोक की धर्म की बात करें तो कलिंग के युद्ध से पहले इनका सनातन धर्म में विश्वास था, लेकिन कलिंग भी युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने  बौद्ध धर्म को अपना लिया। 

अशोक के धम के अंतर्गत  सभी धर्मों को मान्यता दी गई थी।  अशोक के बेटा और बेटी  संघमित्रा और महेंद्र ने श्रीलंका में जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया था।इस प्रकार सम्राट अशोक का वास्तविक धर्म बौद्ध धर्म ही था।

सम्राट अशोक का शिक्षा परिचय

सम्राट अशोक बचपन से ही विद्वान था।  एक पंडित ने इनके पिता को बताया था कि अशोक बड़े होकर एक महान राजा बनेगा, जिसका विदेशों तक साम्राज्य फैला होगा।सम्राट अशोक  अर्थशास्त्र और गणित के विषय में  विद्वान था।  उसने  धार्मिक शिक्षा के लिए कई मठों की स्थापना की थी। बिहार के उज्जैन में  अट्ठारह सौ चौरासी ईसा पूर्व में  अशोक ने एक अध्ययन केंद्र की स्थापना की थी।  सम्राट अशोक कई भाषाओं का ज्ञानी भी था।  उसके साम्राज्य में  कई विद्वान रहते थे।

राजा अशोक का साम्राज्य विस्तार

सम्राट अशोक का साम्राज्य  उसके दादाजी चंद्रगुप्त मौर्य से भी  ज्यादा विस्तृत था। सम्राट अशोक का साम्राज्य भारत से लेकर विदेशों तक स्थापित हो गया था, बौद्ध धर्म के अनुसार अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान मयमार और श्रीलंका, तक  सम्राट अशोक का साम्राज्य था।  मौर्य वंश में सम्राट अशोक ही एकमात्र ऐसा राजा था जिसका साम्राज्य दक्षिण भारत तक फैला था।

अशोक का धम्म

इतिहास में  सम्राट अशोक का धर्म सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।  कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया था औ और इसमें नैतिकता की बात कही गई थी  जिसे अशोक ने धम्म नाम दिया था।

धम्म अभिलेखों का व्यवहार जिसे  सम्राट अशोक ने  धम्म लिपि  कहां गया है।

अशोक के राज्याभिषेक के 12 वर्षों के बाद और उसकी राजगढ़ के अंत तक  सभी देशों में अशोक के धर्म का प्रचार प्रसार किया गया था।अपने धम्म में सबसे प्रमुख तत्व क हिंसा को रखा था।

नैतिक अचार और सामाजिक दायित्व धम्म के प्रमुख तत्व थे। धम्म में, जनकल्याण, पशु बलि पर निषेध, सार्वजनिक स्थानों पर पेड़, रास्तों में दवा खाने का निर्माण, सभी धर्मों का सम्मान की बात कहीं गई है।

अर्थशास्त्र में धम्म  विजय की चर्चा भी की गई है।

रोमिला थापर ने  अशोक के धम्म नीति को  एक राजनैतिक और  साम्राज्यवादी नीति माना है। रोमिला थापर का मानना है कि  शुरुआत में अशोक को सभी धर्मों की मदद नहीं मिली थी, इसीलिए उसने अपने को   लोगो के बीच में प्रिय करने के लिए धम्म का  प्रचार प्रसार शुरू किया। उनका मानना है कि बौद्ध धर्म और अशोक के धम्म में कोई अंतर नहीं है। लेकिन दोनों को एक धर्म नहीं कहा जा सकता है।

अशोक के धम में, नैतिकता,  अष्टांगिक मार्ग मौलिक संदेश का  उल्लेख मिलता है।

सम्राट अशोक की स्थापत्य कला

अशोक ने अपने पूर्वजों की  तरह  स्थापत्य कला में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अशोक की स्थापत्य कला का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण सांची का स्तूप है, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के  रायसेन जिले में स्थित है।  इसमें कई बौद्ध स्मारक हैं।

नेपाल में सीता मंदिर का निर्माण  सम्राट अशोक द्वारा कराया गया था।

सम्राट अशोक  के साम्राज्य की राजधानी

सम्राट अशोक के साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी  और उस समय पाटलिपुत्र उत्तर भारत का प्रमुख केंद्र था।

सम्राट अशोक के  शिलालेख

अशोक के लगभग 14 स्थानों से शिलालेख प्राप्त हुए हैं और इन शिलालेखों को पढ़ने में सबसे पहले सफल  एक अंग्रेजी विद्वान जेम्स प्रिंस हुआ है इन्होंने ही सबसे पहले अशोक के शिलालेख पड़े थे।

  दिल्ली का तोपरा स्तंभ ,गिरनार का शिलालेख ,कालसी शिलालेख, भरहुत का शिलालेख, भबरू शिलालेख, अफगानिस्तान का शिलालेख ,तक्षशिला  आदि स्थानों में शिलालेख प्राप्त हुए हैं।

अशोक की मृत्यु

232 ईसा पूर्व  अशोक की मृत्यु हो गई थी, अशोक की मृत्यु के बाद राज दरबार में कई षड्यंत्र रचा गया, जो भी राजा बनता था वह अल्पकाल तक की टिक पाता था।

मौर्य वंश का अंतिम राजा राम गुप्त माना जाता है।

अशोक की मृत्यु  पाटलिपुत्र में हुए थे।

(FAQ)

सम्राट अशोक का जन्म कब और कहां हुआ था?

अशोक का जन्म  304  ईसा पूर्व में  उत्तर भारत के पाटलिपुत्र में हुआ था।

अशोक कहां का सम्राट था?

मौर्य वंश

सम्राट अशोक ने कौन सा युद्ध विजय किया था?

262 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने कलिंग का एकमात्र युद्ध लड़ा था।

सम्राट अशोक की कुल कितनी पत्नियां थी?

अशोक की कुल 4 पत्नियां थी।

अशोक के कितने पुत्र थे?

अशोक के 3 पुत्र थे।

सम्राट अशोक का धम्म क्या था?

नैतिक  नियमों का संकलन था

अन्तिम शब्द

इस आर्टिकल में आपको  सम्राट अशोक के बारे में पूरी जानकारी इतिहास को ध्यान में रखते हुए दी गई है। सारी जानकारी ऐतिहासिक शोध पर आधारित है।

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