गांधी जयंती के दिन लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन होता है और इस दिन इन्हें भी याद किया जाता है इसलिए अधिकतर लोग 2 अक्टूबर के दिन लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध लिखना चाहते हैं।
आज इस आर्टिकल में हम आपको लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
अगर आपकी लाल बहादुर शास्त्री के बारे में निबंध लिखना चाहते हैं तो आपको इस आर्टिकल को पूरा पढ़ना होगा क्योंकि आर्टिकल के अंदर आपको बताया जाएगा कि आपको किस तरीके से लाल बहादुर शास्त्री के जीवन परिचय के बारे में लिखना है।
लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध 500 और 1000 शब्दों का
प्रस्तावना – लाल बहादुर शास्त्री 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय उत्तर प्रदेश में हुआ था। यह बचपन से ही बहुत ही होनहार बालक थे। इनके पिता पेशे से एक टीचर थे।
इनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम राम दुलारी देवी था। इनके पिता की मृत्यु के बाद इनका पालन-पोषण इनके मामा के घर में हुआ था।
बचपन में इन्हें नन्हे नाम से पुकारा जाता था। इन का प्रारंभिक जीवन मिर्जापुर में व्यतीत हुआ था।
शिक्षा परिचय – लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपनी माता के घर से यानी कि मिर्जापुर से पूरी की थी। इस के बाद उन्होंने हरीश चंद्र हाई स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और स्नातक की पढ़ाई के लिए उन्होंने काशी विद्यापीठ में प्रवेश किया और इसी दौरान इन्हें शास्त्री की उपाधि दी गई थी और लाल बहादुर शास्त्री ने अपने जातिसूचक श्रीवास्तव अपने नाम से हटा दिया।
पारिवारिक जीवन – 1928 में लाल बहादुर शास्त्री का विवाह मिर्जापुर की ललिता देवी से हुआ और इनके दो पुत्रियां और 4 पुत्र थे। पुत्रियों का नाम कुसुम और सुमन था और पुत्रों का नाम हरि कृष्ण, अनिल, सुनील अशोक था इनकी पुत्रों की खास बात यह थी कि एक पुत्र कांग्रेस पार्टी का सदस्यता और दूसरा पुत्र भाजपा पार्टी का सदस्य।
राजनीतिक जीवन – लाल बहादुर शास्त्री ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। असहयोग आंदोलन के दौरान लाल बहादुर शास्त्री जी को जेल में कर दिया गया था। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भारतीय सेवक संघ में जुड़ गए थे।
लाल बहादुर शास्त्री ने असहयोग आंदोलन और दांडी मार्च तथा भारत छोड़ो आंदोलन में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इन्होंने ही भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान करो या मरो का नारा दिया था।
स्वाधीनता संग्राम के दौरान गांधीजी को एक नहीं बल्कि कई बार जेल जाना पड़ा। भारत छोड़ो आंदोलन 19 अगस्त 1942 के दौरान लाल बहादुर शास्त्री को जेल में बंद कर दिया गया था।
स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका निभाने के बाद लाल बहादुर शास्त्री जी को नेहरू मंत्रिमंडल में ग्रह मंत्री मंत्री का पद दिया गया था।
1964 में लाल बहादुर शास्त्री जी को भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। लाल बहादुर शास्त्री किसानों के प्रति बहुत ही जागरूक थे और उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में चीन आक्रमण और पाकिस्तान आक्रमण तथा आपातकाल जैसी महत्वपूर्ण घटना घटी।
रूस और अमेरिका के लाल बहादुर शास्त्री को ताशकंद समझौता करने के लिए रूस बुलाया गया था। और उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। शास्त्री जी की पत्नी ने उनके साथ जाने की बात कही थी लेकिन उन्होंने उन्हें बहला-फुसलाकर ना कर दिया था और इसके बाद शास्त्री की ताशकंद चले गए।
ताशकंद समझौते के दौरान लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा कि वह जीती गई भूमि को वापस नहीं लौट आएंगे लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण उनसे ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करा लिए थे और समझौते पर हस्ताक्षर कराने के कुछ घंटों बाद ही 11 जनवरी 1966 में उनकी मृत्यु हो गई। आज भी लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु एक रहस्य है।
उपसंहार – लाल बहादुर शास्त्री जी भारत के स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक अच्छे प्रधानमंत्री रहे हैं उनके दौरान महत्वपूर्ण घटनाएं होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी थी उन्होंने आम जनता के साथ साथ किसानों और सैनिकों का भी मनोबल ऊंचा किया था।
पूरा नाम | लाल बहादुर शास्त्री |
पिता का नाम | शारदा प्रसाद श्रीवास्तव |
माता का नाम | रामा दुलारी देवी |
जन्म तिथि | 2 अक्टूबर 1904 |
जन्मस्थान | मुगलसराय उत्तरप्रदेश |
बच्चो का नाम | पुत्रियों का नाम कुसुम और सुमन था और पुत्रों का नाम हरि कृष्ण, अनिल, सुनील अशोक |
योगदान | असहयोग आन्दोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में करो या मरो का नारा |
प्रधानमंत्री पद | भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री |
नारे | जय जावन जय किसान , करो या मरो |
मृत्यु | 11जनवरी 1966 |
लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध 300 शब्द
प्रस्तावना- लाल बहादुर शास्त्री को 2 अक्टूबर के दिन याद किया जाता है क्योंकि इस दिन गांधीजी के साथ-साथ लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्म हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर उन्नीस सौ चार को मुगलसराय उत्तर प्रदेश में हुआ था और इनका बचपन का नाम नन्हे था। इनके पिता पेशे से टीचर थे और माता ग्रहणी।
विद्यार्थी जीवन – शास्त्री जी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई मिर्जापुर से की थी क्योंकि इनके पिता के निधन के बाद इनकी माता अपने पिता के घर चली गई थी और इन्होंने स्नातक की पढ़ाई काशी विद्यापीठ से की और इसी दौरान उन्होंने अपने नाम से श्रीवास्तव शब्द हटाकर शास्त्री शब्द लगा लिया क्योंकि इन्हें काशी विद्यापीठ में शास्त्री की उपाधि प्रदान की गई थी।
लाल बहादुर शास्त्री का राजनीति में आगमन – पढ़ाई पूरी करने के बाद शास्त्री जी भारतीय सेवक संघ से जुड़ गई और इसी दौरान इन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया और इसके बाद इन्होंने काली जी के द्वारा चलाई गई दांडी मार्च में भी भाग लिया था। शास्त्री जी ने 1942 में करो या मरो का नारा दिया जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसी दौरान शास्त्री जी को जेल भेजा गया था।
भारत का प्रधानमंत्री बनने का सफर – नेहरु के मंत्रिमंडल में शास्त्री जी को गृह मंत्री का पद मिला था और 1964 महीने भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया और समझौता करने के लिए लाल बहादुर शास्त्री जी को ताशकंद बुलाया गया।
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लाल बहादुर शास्त्री जी ने ताशकंद जाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और इस दौरान उनके ऊपर समझौते पर हस्ताक्षर करने का दबाव डाला गया। इसी दौरान शास्त्री जी ने कहा कि वो जीती हुई भूमि को वापस नहीं करेंगे और अंतरराष्ट्रीय दबाव होने के कारण ताशकंद दस्तावेज में साइन करा लिए गए और कुछ घंटों बाद उनकी मृत्यु हो गई माना जाता है कि दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मृत्यु हुई थी।
लाल बहादुर शास्त्री पर 20 और 50 लाइन का निबंध
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश में हुआ था और यह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे।
लाल बहादुर शास्त्री ने असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
लाल बहादुर शास्त्री के द्वारा करो या मरो का नारा दिया गया था जिसे आज भी याद किया जाता है और किसानों के लिए इन्होंने जय जवान और जय किसान का नारा दिया था।
लाल बहादुर शास्त्री जब भारत के प्रधानमंत्री थे इसी दौरान पाकिस्तान और भारत युद्ध शुरू हो गया और युद्ध को रोकने के लिए उन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डाला गया और अमेरिका तथा रूस के दबाव में अगर उन्हें ताशकंद जाना पड़ा।
लाल बहादुर शास्त्री पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालकर ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करा लिए गए और हस्ताक्षर करने के 1 घंटे बाद इनकी मृत्यु हो गई थी।
लाल बहादुर शास्त्री ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनकी मृत्यु राजनीतिक यात्रा के दौरान विदेश में हुई थी।
लाल बहादुर शास्त्री के योगदान के कारण हर साल 2 अक्टूबर को शास्त्री जयंती मनाई जाती है।
लाल बहादुर शास्त्री का योगदान
लाल बहादुर शास्त्री ने असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
लाल बहादुर शास्त्री पर 10 शब्दों का निबंध
लाल बहादुर शास्त्री भारत की स्वतंत्रता सेनानी और देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे इनका जन्म 2 अक्टूबर 1960 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय जिले में हुआ था लाल बहादुर शास्त्री ने असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और ताशकंद समझौता के दौरान 11 जनवरी 1966 को इनकी मृत्यु हो गई।
लाल बहादुर शास्त्री जी की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी?
शास्त्री जी के प्रमुख नारे क्या थे?
लाल बहादुर शास्त्री कौन सी जाति के थे?
लाल बहादुर शास्त्री की जीवन की महत्वपूर्ण घटना क्या थी?
क्या लाल बहादुर शास्त्री कायस्थ है?
निष्कर्ष:
अंत में नहीं कहना चाहेंगे कि लाल बहादुर शास्त्री एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक अच्छे प्रधानमंत्री रहे। लाल बहादुर शास्त्री का जीवन बहुत ही साधारण था।
जब लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री थे तो समय देश की स्थिति साधारण नहीं थी देश अकाल के साथ-साथ युद्ध से भी लड़ रहा था और तब भी शास्त्री जी ने के प्रधानमंत्री पद से त्याग नहीं दिया था। इस आर्टिकल के माध्यम से आप लाल बहादुर शास्त्री के ऊपर 10 शब्दों का, 20 शब्दों का, 50 शब्दों का, 100 शब्दों का, 200 शब्दों का, 150 शब्दों का, 300 शब्दों का, 350 शब्दों का , 400 शब्दों का, 500 शब्दों का और 1000 शब्दों का निबंध लिख सकते हैं।