बादल कैसे फटता है -Badal Kaise Fathta Hai

बादल कैसे फटता है – मानसून के मौसम में हिमालय राज्य में सबसे ज्यादा बादल फटने की घटनाएं होती हैं।

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पृथ्वी पर बादल फटना कोई आम बात नहीं है इसके बहुत सारे कारण होते हैं भारत में हर साल कुछ राज्यों में बादल फटते हैं जिससे कई सारा नुकसान होता है और राज्य में एक प्रकार की प्राकृतिक आपदा आ जाती है।

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13 जून 2016 को केदारनाथ रुद्रप्रयाग उत्तराखंड में बादल फटने की घटना हुई थी और इस घटना से उत्तराखंड राज्य में कई सारा नुकसान हुआ। बादल फटने के कारण केदारनाथ में कई यात्रियों की मृत्यु हो गई थी इसके अलावा केदारनाथ का इलाका तहस-नहस हो गया था।

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बादल फटने के कारण कई सारे घर और रास्ते तथा नाली टूट गए थे। केदारनाथ में बादल फटने के बहुत सारे कारण माने जाते हैं।

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बारिश होने के कारण ही बादल नहीं पड़ता है बादल फटने के कारण अलग है। बारिश का और बादल का भी प्रकार से संबंध है लेकिन बारिश के कारण बदल फटता है।

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आज इस आर्टिकल में हम बात करने वाले है कि बादल कैसे फटता है Badal Kaise Fatta Hai। अगर आप भी जाने जाते हैं कि बादल कैसे फटता है तो इस आर्टिकल को विस्तार से पढ़ना होगा।

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बादल कैसे फटता है

बारिश होने के पीछे पर्वतों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है बारिश तीन प्रकार की होती है। अधिकांश बादल पर्वतीय इलाकों में सकते हैं। जब बादल एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर जाते हैं और बीच में पहाड़ आने के कारण सभी पागल आपस में टकरा जाते हैं और सभी बादलों में हल्का हल्का पानी रहता है और यह एक साथ टकराने के कारण फट जाते हैं। बादल फटने का पहला कारण यह है कि किसी पर्वत और बादल के आपस में मिलने के कारण बादल पड़ता है।

  • वैज्ञानिकों का मानना है कि जब 100mm से ज्यादा बारिश होती है और 1 घंटे तक लगातार अगर 100 एम एम एम बारिश होगी तो इसे बादल फटना कहते हैं क्योंकि बादल फटना एक टेक्निकल स्थिति मानी जाती है जब एक स्थान में 1 घंटे के अंदर 100mm से ज्यादा बारिश होगी तो उसे स्थान में बादल फट सकता है।
  • बादल फटना एक प्राकृतिक घटना है और जब किसी स्थान में बादल पड़ता है तो 1 मिनट में उस स्थान में पूरी बाढ़ आ जाती है। बादल फटने के पीछे ओरोग्राफी लिफ्ट को भी माना जाता है जब पर्वतों से टकराकर हवा ऊपर की ओर जाती है। जैसे जैसे हवा ऊपर जाती है ओर हवा ठंडी होने लग जाती है।
  • मानसून के समय में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से ठंडी हवाएं उत्तर की ओर हिमालय की पर्वतों से टकरा कर ऊपर की ओर ओरोग्राफी लिफ्ट से एटमॉस्फेरिक के कारण हवा ठंडी हो जाती हैं ऊपर ही मोस्ट ईयर बादलों का रूप ले लेती है और बादलों से बूद नीचे की ओर गिरने वाली होती है कि नीचे से आने वाली ओरोग्राफी लिफ्ट ईयर पानी की बूंदों को नीचे नहीं गिरने देती है और यह पानी की बूंद ऊपर बादलों में समा जाती हैं।
  • साधारण शब्दों में बात करें तो जब बादलों में एक साथ बहुत सारा पानी भर जाता है और यह किसी बड़े पर्वत से आकर टकराती है तो इस घटना को बादल फटना कहते हैं।
  •  इसी तरीके से बादल में पुरानी और नई बूंद एकत्रित होती जाती है। जब नीचे से ठंडी हवाएं आना बंद हो जाती है तो बादलों में एक साथ बहुत सारा पानी एकत्रित हो जाता है जिसके कारण 1 मिनट में 5 सेंटीमीटर से ज्यादा वर्षा हो जाती है और इसी घटना को बादल फटना कहते हैं।
बादल कैसे फटता
बादल कैसे फटता
  • बादल केवल पर्वतीय इलाकों में ही नहीं सकते हैं 2005 में मुंबई में भी बादल फटा है बादल फटने का एक कारण यह भी माना जाता है कि जब दो बादल आपस में मिलते हैं और बहुत तेजी से टकरा जाते हैं जिसके कारण एक साथ 5 सेंटीमीटर 10 सेंटीमीटर के बीच में वर्षा होती है।

गूगल बादल क्यों फटता है?

आज के समय में बादल फटना साधारण सी घटना हो चुकी है पहाड़ी इलाकों के अलावा मैदानी इलाकों में भी बादल फटने की घटनाएं देखी जा रही है।

बादल कभी भी आसानी से नहीं पड़ता है इसके पीछे भी कारण होते हैं। माना जाता है कि जब बहुत सारे बादल एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर जा रहे होते हैं और हल्की हल्की वर्षा हो रही होती है और किसी पर्वत से टकराने के कारण सभी बादल आपस में टकरा जाते हैं जिसके कारण तेजी से वर्षा होती है घटना को बादल फटना कहा जाता है।

हिमालय राज्यों में ही सबसे ज्यादा बादल क्यों फटते हैं

हिमालय राज्य में उत्तराखंड जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश तथा मेघालय और असम आते हैं इनमें से उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बादल करते हैं।

जब बादल किसी पर्वत से टकराते हैं और हिमालय पर्वत में अधिकांश बर्फ जमा रहती है और बादल के टकराने से का टुकड़ा भी टूटता है और बादल भी टूटता है जिसके कारण 1 मिनट में 5 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बादल में भी पानी रहता है और बर्फ के टुकड़े में भी पानी रहता है और जब दोनों चीजें आपस में मिलती है तो किसी एक स्थान पर भयंकर वर्षा होती है।

इसी कारण से हिमालय राज्य में सबसे ज्यादा बादल फटते हैं। उत्तराखंड भी एक हिमालई राज्य और प्रखंड में कई सारी ऊंची चोटिया हैं अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवा इन पर्वतों की ओर से ऊपर हो जाती है और बादलों की बूंदों को रोकती है और जब यह हवा समाप्त हो जाती है तो एक साथ तेजी से वर्षा होती है।

FAQ

बादल फटने का अर्थ क्या होता है?

बादल फटने का अर्थ होता है भारी वर्षा होना। जब एक साथ भारी वर्षा होती है उसे बादल फटना कहते हैं।

बादल कहां फटता है?

अधिकतर बादल पर्वतीय इलाकों या फिर हिमालय राज्य में फटता है। बादल फटने की एक जगह निश्चित नहीं है बारिश किसी भी स्थान पर कभी भी फट सकता है।

अंतिम शब्द

अब आपको बादल कैसे फटता है कि बारे में पता चल गया होगा। अगर आपसे कोई भी पूछेगा बादल कैसे फटता है तो आप उसको आसानी से बता सकते हैं।

बादल फटना एक प्राकृतिक घटना है जो मानसून के समय में सबसे ज्यादा होती है क्योंकि मानसून में दक्षिण से ठंडी हवाएं ऊपर की ओर बादल के पानी को रोक लेती है। हवा के कारण भी बादल पड़ता है।

बादल फटने की घटना केवल इंडिया में नहीं होती है विदेशों में भी बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं।

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