जूनागढ़ का अभिलेख : गुजरात के जूनागढ़ में स्थित एक पहाड़ी पर येअभिलेख उत्तीर्ण कराया गया है। इस अभिलेख में अशोक के अभिलेख की संपूर्ण श्रृंखला, कार दमक शासक रुद्रदामन का अभिलेख, और गुप्त सम्राट स्कंद गुप्त का अभिलेख उत्कीर्ण है। अशोक के अभिलेख में धम्म संबंध नीतियों का वर्णन किया गया है। किंतु जो अन्य दो अभिलेख हैं उनमें एक जलाशय के निर्माण के बारे में उसके निर्माण और पुनर्निर्माण व्यवस्था और 1000 वर्षों का अद्वितीय इतिहास संकलित है। रुद्रदामन का इतिहास 20 पंक्तियों का है और चट्टान की शीर्ष पर उत्कीर्ण किया गया है लेकिन उसने लिखी गई पंक्तियों को पढ़ा नहीं सकता है अभिलेख की भाषा संस्कृत है और लिपि ब्राह्मी है । यह अभिलेख अत्यंत प्राचीन है।
भारतीय इतिहास में जूनागढ़ का अभिलेख अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि इस अभिलेख से हमें प्राचीन भारतीय शासकों के बारे में जानकारी होती है।
इस अभिलेख का उद्देश्य शक शासक रुद्रदामन के द्वारा सुदर्शन नामक एक जलाशय के पुनर्निर्माण के कार्य को जनसामान्य के लिए प्रति वेदित करना था।
इस जलाशय का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के प्रांतीय गवर्नर वैश्य पिष्य गुप्त के द्वारा किया गया था लेकिन जलाशय का पूर्ण निर्माण अशोक के प्रांतीय गवर्नर यवन तुशास्प के समय में पूरा हुआ। अभिलेख में आगे लिखा गया है कि रुद्रदामन के शासनकाल में भयंकर आंधी तूफान आया लगभग 72 रूप से शक संवत150 ईशा,पूर्व । वर्षा इतनी हुई की सारी भूमि महासागर के रूप में परिवर्तित हो गई थी। उर्जयत गिरनार पर्वत से निकलने वाली सुवर्णासिकता, प्लासीनी तथा अन्य सहायक नदियों में बाढ़ आ गई। ऐसा लग रहा था कि युग का अंत होने वाला है। इस बाढ़ ने पर्वतों को वृक्षों को, मंजिलें भवनों को, प्रवेश द्वारों को सभी को ध्वस्त कर दिया। यह इतना विनाशकारी भूकंप था कि रुद्रदामन के प्रधान अधिकारियों और सलाहकारों ने सोच लिया कि झील का पुनर्निर्माण कराना संभव नहीं है।
लेकिन रुद्रदामन को पूरा विश्वास था कि सुदर्शन झील का पुनर्निर्माण हो सकता है। उसने अपने जलाशय का पुनर्निर्माण का आदेश दिया। सौराष्ट्र के प्रांतीय गवर्नर अमात्य सूविशाखा के नेतृत्व में झील का पुनर्निर्माण किया गया। इस झील की लंबाई और चौड़ाई ऐसी तीन गुनी मजबूत की गई। गांव और नगरों की जनता का इस कार्य में बिल्कुल भी शोषण नहीं किया गया और ना ही किसी प्रकार का कर लगाया गया। इस अभिलेख ने स्पष्ट किया गया है कि रुद्रदामन ने यह सब कुछ 1000 वर्षों तक और ब्राह्मणों के कल्याण के लिए तथा धर्म और कृति के लिए संपन्न करवाया।
इस अभिलेख में रुद्रदामन की एक प्रशस्ति भी संकलित की गई है उसके वंश की सूची में उसके पिता जय दामन तथा पिता चश्टन के नाम भी दिए गए हैं इसमें यह भी वर्णन किया गया है कि योधेय का नाश कर दिया था और उसने सभी क्षत्रिय को पराजित किया उसने दक्षिणा पथ के अधिपति शातकर्णी को बार युद्ध में पराजित किया प्राण दान में दिए क्योंकि वह उसका निकट संबंधित था । सातवाहन और शक में वैवाहिक संबंध काफी समय पहले स्थापित हो गए थे।
उसने अभिलेख में यह भी बताया कि उसका राज्य लुटेरों, जंगली जानवरों, महामारी ओर अपराध से मुक्त है। अपनी योग्यता के कारण वह अत्यंत लोकप्रिय शासक था। जिसने धर्म अर्थ और काम का पूर्ण रुप से पालन किया था। रुद्रदामन के विषय में अत्यंत काव्यात्मक शैली का वर्णन करते हुए कहा गया है कि मां के गर्भ से ही वह शाही जीवन का अधिकारी था, जिसको सभी वर्ण ने अपनी रक्षा के लिए अधिपति के रूप में उसे चयनित किया था जिसने युद्ध को छोड़कर किसी भी स्थिति में किसी की हत्या न करने का संकल्प लिया था।
स्कंद गुप्त ने जो अभिलेख उत्तीर्ण कराया है उसके अनुसार सुदर्शन झील 455-456 ईसा पूर्व में नष्ट हो गई थी स्कंद गुप्त ने उस का निर्माण कराया।
जूनागढ़ के अभिलेख में मौर्य वंश, सातवाहन वंश और शक वंश के बारे में जानकारी मिलती है।
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Paryayvachi shabd ko paribhashit kijiye
प्राचीन भारत में नारी (महिलाओं) की स्थिति